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लेखनी प्रतियोगिता -06-Nov-2022 शर्मो हया

मुक्तक 


शर्मो हया से झुक गईं क्या नजरें आपकी 
या चमचमाते हुस्न की मदिरा का असर है 
यूं मुस्कुराकर लूटा ना करो , दिल सरेआम 
छुपा के रखो , उफनता यौवन एक कहर है 

श्री हरि 
6.11.22 

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10 Comments

Suryansh

07-Nov-2022 06:13 PM

लाजवाब लाजवाब

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Punam verma

07-Nov-2022 03:25 PM

Nice

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बहुत ही सुंदर सृजन

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